नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम Women’s reservation Bill UPSC के बारे में जानने वाले हैं।लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ने महिला आरक्षण विधेयक 2023 ( 128 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक ) या नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया ।
महिला आरक्षण का इतिहास
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन → 1936- अखिल भारतीय महिला सम्मेलन
- महिलाओ के राजनीतिक सशक्तिकरण 1946 की संविधान सभा के बैठक मे महिला आरक्षण का मुद्दा उठाया गया पर अन्तोगला यह मुद्दा खारिज हो गया
- 1947 में, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, रेणुका रे – “हम हमेशा मानते थे कि जब अपने देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले पुरुष सला में आयेंगे, तो महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की भी गारंटी होगी
- “1971 में → केन्द्रीय शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय ने ECSWI) भारत में महिलाओं की स्थिति पर समिति बनाई ‘स्थानीय निकायों में आरक्षण का समर्थन के लिए
- 1987 में- राजीव गांधी सरकार द्वारा तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा ने ‘महिलाओं के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना 1988’ लांच की जो पंचायत से लेकर संसद स्तर तक आरक्षण की सहमति मे थी।
- 73वां और 74वां संविधान संशोधन CPV नरसिम्हा राव सरकार) -: ग्राम पंचायती और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 38% महाराष्ट्र, AP, बिहार, छत्तीसगढ, झारखंड, केरल 50% आरक्षण
- राष्ट्रीय महिला आयोग – 1992
Women’s reservation Bill UPSC
- देवगौड़ा सरकार (12 सितम्बर 1996)-[+ संविधान (81वां संशोधन) विधेयक पेश एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की मांग समर्थन + विरोध (कारण – OBC के वर्ग की महिलाओं का आरक्षण)
- गुजराल सरकार (1997)-सर्वदलीय बैठकें हुई, लेकिन कोई सफलता नहीं । OBC सांसदों ने विरोध किया।
- नीतीश (समता पार्टी) – आज, 39 महिला सदस्यों में से केवल 4 OBC से हैं, महिलाओं की आबादी 50% है और OBC 60% है लेकिन क्या कोई इसके लिए बोल रहा है?
- वाजपेई सरकार – 12 जुलाई 1998 और 7 मार्च 2003 को कोशिश लेकिन सफलता नहीं मिली
- UPA सरकार – 22 अगस्त 2005 महिला आरक्षण विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए एक बैठक बुलाई। 6 मई 2008 को UPA सरकार ने राज्यसभा में सविधान संशोधन 108 वां विधेयक कोशिश असफल
- 2014 में भाषा के manifesto में शामिल
- 2019 के संकल्प पत्र में भी यह बात दोहरायी
महिलाओं को आरक्षण देने से लाभ
- राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नार्वे (2003 कोटा प्रणाली)
- कार्पोरेट बोर्डों पर 40% सीटें
- खांडा – 61% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित
- द० अफ्रीका – 43%
- बांग्लादेश – 21%
- पितृसलामक मूल्य में कमी आएगी ।
- Gender Gap में कमी राजनीति में अपराधीकरण मे कमी महिलाओं की संवेदनशीलता पुरुषो से अधिक
- संसद में महिलाओं की भागीदारी रिपोर्ट – 144 वां स्थान (193)
73वें और 74वें संविधान संशोधन की नींव
- बलवंतराय मेहता समिति (1957) – त्रिस्तरीय 1.ग्राम 2.पंचायत समिति 3. जिला समिति
- अशोक मेहता समिति (1977) – द्विस्तरीय 1. जिला 2.ब्लॉक
- जी.V K राव समिति (1985) – जिले को बुनियादी इकाई + नियमित चुनाव
- L.M सिंघवी समिति (1986) – संवैधानिक दर्जा + अधिक वित्तीय संसाधन
- कर्नाटक, पं. बंगाल, आंध्रप्रदेश ने अशोक मेहता समिति के आधार पर नए कानून
- 1909 में PM राजीव गांधी के कार्यकाल के अंत में 64 वां संविधान संशोधन विधेयक- पंचायती राज संस्थानो को मजबूत करने का प्रयास-विफल
पंचायती राज व्यवस्था में कैसे मिला महिलाओं को आरक्षण
- 1987 में राजीव गांधी सरकार महिलाओं के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1988) – पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण
- 73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 -पंचायती राज संस्थान का गठन भाग-9 (अनु0243 – 243) अनुसूची 11वीं जोड़ी गयी
- 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1992- शहरी स्थानीय निकायों का गठन भाग – 9(क) (अनु0 243P से 2432G) अनुसूची 12वीं
- अनुच्छेद 243 (D) -: एक तिहाई सीटें आरक्षित उनमे से भी 33% सीटें ST व SC महिलाओं के लिए पंचायती स्तर पर
महिला आरक्षण विधेयक 2023
- हाल ही संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया।
- 128वाँ संविधान संसोधन विधेयक 2023 है जिसे केन्द्र सरकार द्वारा नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम दिया गया।
- यह विधेयक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करता है।
- आरक्षित सीटों को राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में चक्रीय आधार पर आवंटित किया जा सकता है।
- इसे लागू होने के 15 वर्ष बाद सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। हालांकि यह अवधि बढाने के लिए संसद के पास अधिकार होगा।
- इससे पहले यह बिल 2010 में पेश किया गया लेकिन LS से पास नहीं
- इसके तहत ” कोटा के भीतर कोटा’ का भी प्रावधान किया गया है अर्थात् कुल आरक्षित सीटों में SC व ST महिलाओं हेतु आरक्षण
- यह आरक्षण परिसीमन के बाद लागू होगा।
- मौजूदा लोकसभा में 543 सदस्यों में से महिला सांसद महज 70 है वहीं राज्यसभा में लगभग 14 फीसदी है
पृष्ठ भूमि -:
- सबसे पहले सितम्बर 1996 में H.D. देवगौड़ा सरकारने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया था।
- पूर्व PM राजीव गांधी ने 1999 में निवार्चित निकायों मे महिला आरक्षण का बीज बोया था।