ध्यान की चमत्कारी शक्ति कैसे एक पेड़ की वजह से ओसो की आंखों में आसूं आ गये। आप के ये पोस्ट बहुत काम आएगी और इस Interesting Facts ध्यान की चमत्कारी शक्ति का प्रयोग जरूर देखे
कैसे एक पेड़ की वजह से ओसो की आंखों में आसूं आ गये।
आचार्य रजनिश (ओशो) ने, अपने प्रवचन में कॉलेज के दिनों का एक व्याख्यान बताते ‘हुए कहा- जब मैं कॉलेज में प्रोफेसर था तब, कॉलेज के बाहर कई पेड़ थे। उनमें से एक पेड़ के नीचे हर दिन मैं अपनी गाड़ी रखता था। कुछ दिनों बाद एक दूसरे प्रोफेसर ने मुझसे कहा- एक चमत्कारी घटना घटी है।
आप जिस पेड़ के नीचे गाड़ी रखते है उस पेड़ को छोड़कर बाकी सभी पेड़ के पत्ते सुख गए है आपमें कोई खास बात है। ओशो ने प्रोफेसर से कहा- मैं चमत्कारों को नहीं मानता। मैं गाड़ी इसलिए रखता हूँ क्योंकि पेड के नीचे छाँव है। मेरे गाड़ी रखने की वजह से पेड़ के पत्ते हरे है ये तो मजाक की बात है। कुछ समय बाद ओशो ने वो कॉलेज छोड़ दिया।
उसके कुछ दिनों बाद उन प्रोफेसर ने ओशो को संदेश भेजा की एक बार कॉलेज दुबारा आइये, चमत्कार घटा है। ओशो वहाँ गए तो उन्होंने देखा वो जिस पेड़ के नीचे गाड़ी रखते थे वो पेड़ भी सुख चुका था। प्रोफेसर ने कहा- जब से आप गए है और आपकी गाड़ी इस पेड़ के निचे नही खड़ी होती तो उस दिन से ये पेड़ सूखने लगा।
ओशो अचंभित हुए लेकिन ओशो ने इस बात को ज्यादा सीरियस नहीं लिया। कुछ समय बाद ओशो पेडों के विषय में पढ़ रहे थे तब उन्होंने जाना की पेड़ में जान होती है, पेड़ों में भाव होता है, वो आपके प्रेम को महसूस कर सकते है। वो महसूस कर सकते है की कौन उन्हें प्यार करता है, कौन उन्हें काटना चाहता है।
ये पढ़कर, उस पेड़ के प्रेम को याद करके ओशो की आँखें नम हो गई। ओशो ने कहा मैं उस पेड़ के पास हर दिन भाव के साथ जाता था,उसकी छाँव के लिए उसे धन्यवाद देता था। उस पेड़ और मेरे बीच एक सम्बंध बन चुका था। जब ओशो ने उस पेड़ के पास जाना बंद कर दिया तो उस पेड़ में बुरे भाव उत्तपन हुए और वो सूखने लगा।
दोस्तों मैंने ये भी सुना था की सदियों पहले अलग अलग बीमारी के इलाज़ के लिए जड़ी बूटी की खोज करने वाले लोग, पेड- पौधों से बातें किया करते थे। वे पेडों से बातें इस प्रकार करते थे वो पेड़ के पास ध्यान करते हुए बैठ जाते थे और जब उन्हें महसूस होता था की पेड़ और उनके बीच एक आत्मिक संपर्क बन चुका है।
तब वो पेड़ से पूछते थे की आप कौनसी बीमारी के इलाज में सहयोग दे सकते है? फिर घंटो बाद भाव के द्वारा उन्हें पेड़ से जवाब मिल जाता था। अब ये ऐसा नहीं है की इसमें 2 व्यक्ति आम बोल चाल की भाषा में बात कर रहे है। ये तो अंदर के भाव, की भाषा है जिसे सिर्फ ध्यान द्वारा महसूस किया जा सकता है। जिससे हम पेड़ – जानवर हर किसी के भाव को जान और महसूस कर सकते है।
निष्कर्ष
आपसे यही कहता हूँ ध्यान कीजिए। आपकी ज़िंदगी बदल जाएगी। आपमें एक अलग तरह की ऊर्जा का जन्म होने लगेगा। ध्यान करने वाले के दिमाग के ऐसे हिस्से खुलने लगते है जो समान्य लोगों के बंद होते है, जिसके बाद व्यक्ति असाधारण बनने लगता है।
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